शनिवार, 30 अप्रैल 2011

खूबियों के सहारे चैनल का नाम बताने की चनौती ...?


1. लीक से हटकर,पॉलिशदार,संयमित,ग्लैमर,

भोजन,खेल, राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय खबरों की प्रस्तुति...

2. चिट-चिट,कीट-कीट मिश्रित,सरकारी महिमामंडन,

उदास और बेरुखे खबरों की प्रस्तुति ...

3. भूत-परेत, ओझैती-सोखैती, नाग-नागिन,

हरार से भरपूर चासनीदार खबरों की प्रस्तुति ...

4. आक्रामक अंदाज़, डंके की चोट पर, शब्द -संवाद

में धार,कभी-कभी किसी खास विचारधारा का घोल,

जरुरत से अधिक खिंचाव और किसी के मुंह में अपना

शब्द-विचार डालकर निकाल लेने की कला..

5. मालिकान के भविष्य के भविष्य को बेहतर

बनाने बनाना और कभी सत्ता के आगे कभी सत्ता

के पीछे चलने की फितरत...

6. पीपली लाइव दिखा चुका है, मैं क्या लिखूं...?


बुधवार, 27 अप्रैल 2011

सर! कैमरा चाहिए, वाहन है...?

सर! कैमरा चाहिए, वाहन है...?
कल्पना कीजिये आप नीति निर्माता हैं...?
इलेक्ट्रोनिक मीडिया स्टुडेंट्स को कैमरा देने के लिए आपको नियम बनानें हैं.
स्टुडेंट्स के लिए 'इलेक्ट्रोनिक मीडिया लैब' बनाया गया है.
स्टुडेंट्स को प्रोजेक्ट वर्क दिए गए हैं.
प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 'आउट डोर' शूटिंग भी करनी होगी.
इसके लिए कैमरा अनिवार्य है.क्लास में कुल २५ स्टुडेंट्स हैं.
कुल कैमरे की संख्या ४ है.
स्टुडेंट्स को कैमरे देने के लिए आपने जो नियम बनाया ओ इस प्रकार है -

नियम No. 1 : कैमरे तभी मिलेंगे जब शिक्षक स्टुडेंट्स के शपथ पत्र पर अनुमति प्रदान करेंगे.
नियम No. 2 : 'आउट डोर' शूटिंग के लिए कैमरे तभी मिलेंगे जब आपके पास ३ पहिया वाहन हो.
नियम No. 3 : सभी स्टुडेंट्स को सुबह १० बजे कैमरे स्वीकृत कराने होंगे और सायं ५.३० बजे वापस जमा करना होगा है.
नियम No. 4 : मन लीजिये स्टुडेंट्स को नोएड में शूटिंग करनी है और इसमें ५ बज गए हैं.
नियम No. 5 : अब उन्हें वापस 'लैब' में ५.३० बजे तक वापस कैमरा जमा करना अनिवार्य है.
नियम No. 6 : 'लैब' तकनीशियन कैमरा जमा कराने के लिए स्टुडेंट्स का इंतजार कर रहा है.
नियम No. 7 : मान लीजिये स्टुडेंट्स और 'लैब' तकनीशियन दोनों ग़ाज़ियाबाद में ही रहते हैं. (सही निर्णय क्या होगा )

क्या आप उक्त नियमों पर अपनी स्वीकृति देंगे...?

विकल्प: यदि स्टुडेंट्स की 'आउट डोर' शूटिंग है और पूरे वर्क में तीन दिन लगेंगे तो क्यों न उन्हें
३ दिन के लिए कैमरे दे दिए जाएँ और अंतिम दिन ५.३० बजे जमा करने के लिए कहा जाये.

सवाल कुछ हट कर:

१. क्या इस देश में बहुसंख्यक गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान अस्पताल तक जाने के लिए वाहन नहीं मिल पाते हैं ...?
२. तुगलकी फरमान किस लिए जाना जाता है और इसके साथ किसका नाम जुड़ा है...?

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

खिचड़ी-खीर का स्वाद...

रिश्ते...!
उगते -डूबते सूरज,
चलती-बहती हवा,
बनते -बदलते मौसम,
खिचड़ी-खीर का स्वाद,
संभावना -संवेदना की चाहत,
स्वार्थों के सन्दर्भों में सजा,
कभी बंजर-परती खेत,
कभी सिंचित उपजाऊ जमीन सरीखा,
और भी पता नहीं क्या-क्या...?
अंततः ये रिश्ते हैं, रिश्तों का क्या...?

शनिवार, 16 अप्रैल 2011

गंगा तुम बहती हो क्यूँ

गंगा तुम बहती हो क्यूँ

विस्तार है अपर प्रजा दोनों पर

करें हाहा:कार नि:शब्द सदा ओ गंगा तुम गंगा बहती हो क्यूँ

नैतिकता नष्ट हुई मानवता भ्रष्ट हुई

निर्लज भाव से बहती हो क्यूँ इतिहास की पुकार करे हूंकार

ओ गंगा की धार निर्बल जन को

सबल संग्रामी समग्रो गामी बनाती नहीं हो क्यूँ

अनपढ़ जन अक्षरहीन अनगिन जन खाद्य विहीन

नेत्र विहीन दिख मौन हो क्यूँ

इतिहास की पुकार करे हूंकार

ओ गंगा की धार निर्बल जन को

सबल संग्रामी समग्रो गामी बनाती नहीं हो क्यूँ

व्यक्ति रहे व्यक्ति केन्द्रित सकल समाज व्यक्तित्व रहित

निष्प्राण समाज को तोड़ती न क्यूँ

इतिहास की पुकार...

श्रतस्वीनी क्यूँ न रही तुम निश्चय

चेतन नहीं प्राणों में प्रेरणा देती न क्यूँ

उन्मद अबनी कुरुक्षेत्र बनी

गंगे जननी नव भारत में

भीष्मरूपी सुतसमर जयी

जनती नहीं हो क्यों.

-भूपेन हजारिका


गंगा बहुतों के लिए जीवनदायनी और मोक्षदायनी हैं

लेकिन बहुतों के लिए चरने- खाने का केंद्र भी.

गंगा के नाम पर लूटने-खाने वालों की बढती जमात और

गंगा सेवा के नाम पर रोज़ नई -नई खुलती दुकानें

फिर भी सुखती गंगा, दुखती गंगा, गंगा की बढती दुर्दशा पर

आज भूपेन हजारिका जी की याद आ गयी.



शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

'पलटन' ने पलटा 'इग्नू' का इतिहास

इग्नू के नियमित छात्रों का कला समूह 'पलटन' आज "अंधेर नगरी चौपट राजा..."
नाटक का प्रस्तुति किया. कलात्मक अभियान, मेहनत, लगन और सृजनात्मक सोच के जरिये
'पलटन', इग्नू के इतिहास को पलटने और यहाँ फैले सांस्कृतिक सन्नाटे को तोड़ने में कामयाब रहा.
पहली बार किसी नाटक को देखने के लिए इग्नू सभागार दर्शकों से खचाखच भरा था.
कलाकारों ने अमेरिकी विस्तार, मॉल ,शिक्षा के बाजारीकरण और राजसत्ता के जनविरोधी नीतियों पर गंभीर चोट किया.
नाटक में कई ऐसे संवाद रहे जो मौजूदा सरकार के 'मुखिया' की भूमिका पर सवाल उठाते हैं.
यह नाटक आस-पास के माहौल को भी अपने चपेट में लिया.इस संकेत को कलाकार जरुर समझ रहे होंगे.
उम्मीद है देखने वाले अपने कार्यशैली में बदलाव करने का प्रयास करेंगे, तब शायद यह नाटक और सफल होगा.
इग्नू के सुनहरे पन्नों पर नई इबारत लिखने के लिए 'पलटन' के सभी कलाकारों को मेरी तरफ से शुभकामनाएं..!