गुरुवार, 9 जून 2011

कट्टरता कला का विकल्प नहीं

प्रख्यात चित्रकार एम एफ हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे. न केवल हमारे बल्कि दुनिया के मुल्कों के कला जगत में हुई इस रिक्तता शायद ही कभी भर पाए. अपनी कुछ चित्रों की वजह से हमेशा विवादों में रहे हुसैन साहब को अंततः मुठ्ठी भर कट्टरवादी ताकतों की वजह से दुसरे मुल्क में शरण लेनी पड़ी थीं.उनके विरोधियों को समझना चाहिए कि दुनिया में कट्टरता कभी भी कला का विकल्प नहीं बन सकता है भारत उनके मन -मिजाज़ में इस कदर बैठा था कि कभी भी वे इसे अपने दिल से अलग नहीं कर सके.भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश होने का दावा करता है लेकिन हुसैन साहेब के मामले में इसे प्रमाणित नहीं कर सका.वे एक प्रगतिशील कला के वाहक थे. भारत का कला जगत उनसे बहुत कुछ हासिल कर सकता था.लेकिन ऐसा हो न सका. कला की नई पीढ़ी से उम्मीद है कि वे न केवल निरंतर उनकी कला को जिंदा रखेगी बल्कि उसे आगे भी बढ़ाएगी

तमाम कट्टरवादी ताकतों के विरोध के वावजूद एम एफ हुसैन इस मुल्क के धरोहर के रूप सदा याद किये जायेंगे.अपनी कला के मार्फ़त वे हमारे दिलों-दिमाग में हमेशा जिंदा रहेंगे.अपने युग में अपने तरह के अलग कला के इस प्रगतिशील कला नायक को मेरी तरफ से SHRADHANJALI...!

रविवार, 5 जून 2011

दिल्ली के दामन पर दमन का दाग

इस देश में गाँधी भी हमीं हैं,गोडसे भी हमीं हैं,सिर्फ हमीं गाँधीवादी हैं.

महात्मा गाँधी पर सिर्फ और सिर्फ हमारा प्रापर्टी-कॉपी राइट है.

गाँधी के आदर्शों पर सिर्फ हमें चलने का हक-अधिकार है.बाकियों को नहीं,या फिर हम जिसे लाइसेंस दें.

हम जहाँ कहीं भी,जिस किसी के खिलाफ आन्दोलन करेंगे वह सत्याग्रह माना जाएगा.बाकियों का नहीं.

सिर्फ हमीं अहिंसा के रास्ते पर चल सकते हैं,यदि दूसरे चलेंगे तो अराजकतावादी कहलायेंगे.

नैतिकता के असली वारिश (असल में ठेकेदार) हमीं हैं,बाकी सब तो अनैतिक हैं.

सिर्फ हमीं सत्य बोलते हैं,बाकी सब तो असत्य के पुजारी हैं.

हमारा साधन और साध्य हमेशा पवित्र और गाँधीवादी रहा है.बाकियों का अपवित्र और छलावा है.

सिर्फ हमीं 'स्वराज' ला सकते हैं,बाकी तो 'लूट-खसोट का राज' स्थापित करना चाहते हैं.

हमीं हैं जो हरेक आँख से हरेक आंसू पोछ सकते हैं,बाकी सब तो आंसू बहाना जानते हैं.

सिर्फ हमीं धर्मनिरपेक्ष हैं,बाकी तो धर्म का धंधा करते हैं.

इस देश पर शासन-सत्ता का सिर्फ हमारा हक और अधिकार है.बाकियों का नहीं.भूल गए क्या...!

अंग्रेजों से आजादी भी हमीं ने दिलवाई,देश पर चालीस साल से अधिक सत्ता पर काबिज भी हमीं रहे.

इस देश को और देश की जनता की गाढ़ी कमाई को लूटकर विदेशी बैंकों में जमा काला धन हमारा ही है.

इसलिए यहाँ की भोली-भाली जनता को लूटने का हक और अधिकार सिर्फ और सिर्फ हमारा है,

इसका अनुभव भी हमारे पास है,बाकियों ने तो जनता को गुमराह किया है.

गाँधी के सत्याग्रह,अहिंसा और बंधुत्व-भाईचारा का पालक सिर्फ हमीं हैं.

जन के मन पर राज करने का हक सिर्फ हमारा है.

आपातकाल के नायक भी हमीं हैं,लोकतंत्र के पोषक भी हमीं हैं,बाकी तो अलोकतांत्रिक हैं .

हम खतरे में हैं तो हमारी कुर्सी खतरे में है,जब कुर्सी खतरे में है तो लोकतंत्र खतरे में.

दाता भी हमीं हैं,दानव भी हमीं हैं.राम भी हमीं हैं, रावण भी हमीं हैं.

दमन भी हमीं करते हैं,धवल दामन भी हमारा ही है.दिल्ली के दामन पर दमन का दाग भी हमारा है...