गुरुवार, 17 मार्च 2011

धनवादी प्रणाली पर टीकी, भारत की जनवादी प्रणाली

नोट रूपी संजीवनी से बची थी सरकार...?
जुलाई २००८ में UPA सरकार नोट रूपी संजीवनी से बची थी. इसका खुलासा विकिलीक्स ने किया है.परमाणु करार पर अल्पमत में आयी तत्कालीन सरकार ने बहुमत हासिल करने के लिए सांसदों को १०-१० करोड़ रुपये बतौर रिश्वत दिया था. सरकार के पक्ष में २७५ व् विपक्ष में २५७ वोट पड़े थे, जबकि १० संसद अनुपस्थित थे.भारतीय मीडिया इसको सनसनीखेज खुलासे के तौर पर पेश कर रहा है .जबकि ये बात देश की अनपढ़,गंवार और जाहिल कही जाने वाली आम जनता भी जानती है कि खरीद-फ़रोख्त के बल पर ही सरकार बची थी. विकिलीक्स ने तो मात्र अमेरिकी दूतावास के संदेस के आधार पर खुलासा कर इस पर अंतर्राष्ट्रीय मुहर भर लगा दी है. चूँकि विकिलीक्स के पूर्व के खुलासे को दुनिया (अमेरिका) ने ख़ारिज कर दिया, इसलिए भारत सरकार भी उक्त सूचना पर भरोसा नहीं करती है.राजनीतिक मौकापरस्ती की कहानी ये नई तो नहीं है .धनवादी प्रणाली पर ही भारत की जनवादी प्रणाली टिकी है.राजतन्त्र में राजा रानी के गर्भ से पैदा होता था,लोकतंत्र में वोट से पैदा होने लगा, लेकिन अब परिपाटी बदल गयी हैं. अब राजा नोट से पैदा हो रहा है. इसलिए नोट उसके लिए संजीवनी है.
तभी तो जो सूचना दुनिया के सबसे बड़े ईमानदार PM को नहीं मिली वो विकिलीक्स तक कैसे पहुंची. इसका मतलब सरकार चलाने वाले जानते हैं की सरकार कैसे बनाई और चलाई जाती है. कहीं यह सूचना लिक करने में ISI का हाथ तो नहीं है.