बुधवार, 16 मार्च 2011

फ्रेंच भाषी को भोजपुरी में नौकरी !

एक खबरनवीस था.वह रोज़ अलग २ विचारधाराओं का
मुखौटा लगाकर राजाओं (नोट -वोट की बदौलत लोकतंत्र में स्वयंभू राजा)
से मिलता था.एक दिन उसे एक सजातीय राजा मिल गया
और उस खबरनवीस को वह एक कुनबे का मुखिया बना दिया.
अब खबरनवीस खुद को राजा घोषित कर बैठा.
इस नए राजा ने लोगों को नौकरी देने का जाल बिछाया.
इससे उसकी लोकप्रियता बढ़ गयी. डिग्री धारी बेरोजगार जब उसके पास नौकरी के लिए जाते,
राजा उन्हें देखते ही समझ जाता.सो एक नया दांव चलता.
अंग्रेजी भाषी को उर्दू में और फ्रेंच भाषी को भोजपुरी व
हिंदी भाषी को तमिल अखबार-चैनल में नौकरी देने का वादा करता.
दरअसल राजा के पास नौकरी उसी भाषा में होती जिस भाषा से बेरोजगार अनभिज्ञ थे.
(असल में नौकरी कही नहीं थी) इस बात को राजा जानता था,लिहाजा वह बेरोजगारों को उलाहना देता,
कहता जब तुम लोगों को भाषा ही नहीं आती तो नौकरी क्या करोगे. तुम लोगों का जीवन व्यर्थ है.
बेरोजगारों को भाषा की अज्ञानता का इस कदर बोध होता की वे आत्मग्लानी से भर जाते.
और सोचते वास्तव में उनका जीवन व्यर्थ है.
नोट: राजा को जानने वाले बताते हैं की राजा खुद अल्प ज्ञानी था.