मंगलवार, 22 नवंबर 2011

'बुद्धू' की डायरी का इंतजार...!



आज यानी २१ नवम्बर,२०११ से आप सब के समक्ष
'बुद्धू' की डायरी नाम से एक सीरिज प्रस्तुत करने जा रहा हूँ.
प्रस्तुत डायरी में 'दिन-तारीख और घटनाएँ सिलसिलेवार नहीं दिखेंगी/मिलेंगी.
क्योंकि 'बुद्धू' जी ने इतनी डायरियां लिखी हैं,जिसका एक जगह संग्रह नहीं है.
जैसे-जैसे 'बुद्धू' की डायरी के अंश मिलते जायेगें,वैसे-वैसे उनके जीवन का सच उजागर होता जायेगा.
अब आप सब यह जानना चाहेंगे कि 'बुद्धू' नाम का जीव है क्या ?
तो सुनिए... !
इसके पीछे का इतिहास यह है कि 'बुद्धू' जिस लड़की से मिलता-जुलता,मेल-मिलाप रखता-बढ़ाता,उसकी आँखें-चहरे की भाषा,देह/शरीर का मनोविज्ञान और परिभाषा नहीं समझ पाता,जिसकी वजह से लड़कियाँ उसे 'पढ़े-लिखे बुद्धू' कहकर चिढाती,अक्सर उसकी ज़िन्दगी से दूर चली जातीं थीं.        
'बुद्धू' को इस बात का अहसास बहुत... बाद में होता,तब तक उसकी पूरी दुनिया ही बदल चुकी होती.
इस प्रस्तुति में छंद,भाषा,शिल्प,गठन,प्रवाह और व्याकरण पर ध्यान न दें,सिर्फ और सिर्फ भावरस का रस्सास्वादन करें.
मज़ा आने पर आलोचना आमंत्रित है...