रविवार, 18 सितंबर 2011

'विज्ञापन' दो,हम आपके पक्ष में 'भोकेंगे'... !


  
कल तक 'अन्ना-अन्ना' चिल्लाने वाला मीडिया.आजकल 'मोदी-मोदी'  चिल्ला रहा है.
तीन दिन के 'उपवास' को "मोदी का नया अवतार" के बतौर प्रसारित-प्रचारित कर रहा है.
उपवास के पूर्व 'माँ' का आशीर्वाद और 'माँ' की तरफ से 'रामचरित मानस' भेंट की तस्वीर को मीडिया ने प्रमुखता से प्रसारित-प्रचारित किया है.
किसी मीडिया ने यह समीक्षा नहीं की कि क्या 'रामचरित मानस' पढ़ने या भेंट करने से 'मोदी' के ऊपर लगे गुजरात देंगे का 'दाग' धुल जायेंगे. 
मोदी को 'उपवास' करने के लिए एक मात्र जगह विश्वविद्यालय ही मिला था.क्या विश्वविद्यालयों को अब राजनैतिक अखाड़े के तौर पर इस्तेमाल किया जायेगा.(कब नहीं किया जाता था)     
विश्वविद्यालयों की अपनी कोई छवि होगी की नहीं.इसकी बची हुई स्वतंत्रतता,निष्पक्षता और निरपेक्षता बरक़रार रहेगी या नहीं(?).
मीडिया जिस तरह से 'मोदी' के 'उपवास' को दिखा रहा है.उसमें एक बात सर्वाधिक खतरनाक यह है की अगले पार्लियामेंट के चुनाव में भारतीय जनता को 'मोदी' और 'राहुल' में से किसी एक को प्रधानमंत्री के तौर पर चुनाव करना है.यानि इन दोनों के आलावा तीसरा कोई विकल्प नहीं है.मतलब जनता  विकल्पहीनता की शिकार है.लोग मीडिया की राय मान लें.मीडिया इसके लिए जनमत तैयार करना शुरू कर दिया है.
सोचता हूँ.जिस व्यक्ति ने मीडिया को "वाच डॉग" (अभी नाम याद नहीं आ रहा है) का नाम दिया होगा.वह कितना दूरदर्शी रहा होगा.परंपरागत सोच है मालिक जब कुत्ते को चारा देता है तो बदले में उससे 'वफ़ादारी' और 'बेहतर' रखवाली की उम्मीद करता है.आज बात मौजूदा मीडिया के चरित्र को लेकर कहा जा सकता है.'विज्ञापन' दीजिये.मीडिया आप के पक्ष में भोंकने के लिए तैयार बैठा है.'मोदी' भी 'विज्ञापन' जारी किये हैं,'फुल पेज' का.जाहिर है फ़र्ज़ निभाना तो पड़ेगा."वाच डॉग" जो ठहरे.यह पूंजीवाद का असली स्वाभाव है.पूंजी बटोरने के लिए और गुजरात में व्यावसायिक लाभ-मुनाफा कमाने के लिए पूंजीपति किसी भी हद तक जाकर समझौता कर सकते हैं.यह 'दर्पण' की तरह साफ है.    
यदि मीडिया इसी तरह से 'कवर' करता रहा तो 'अनशन','उपवास' और गाँधी के अन्य राजनैतिक प्रयोगों को राजनैतिक पार्टियों को इसे 'ढोंग','पाखंड' और 'कर्मकांड' में तब्दील करते देर नहीं लगेगा.इसकी शुरुआत हो चुकी है.
कार बनाने वाली देश की अग्रणी कंपनी मारुती सुजूकी के मानेसर प्लांट के श्रमिक गत २० दिनों से धरने पर बैठे हैं.वे ६२ श्रमिक साथियों को काम पर वापस लेने की मांग पर अड़े हैं.इसे किसी टीवी मीडिया ने खबर बनाने की जहमत नहीं उठाई.