बुधवार, 4 मई 2011

श्रद्धांजलि...!

श्रद्धांजलि...!
मैं भारत हूँ .
मेरे में समाहित है पूरी दुनिया और हम पूरी दुनिया में.
मेरे एक हाथ में परमाडु बम है और दूसरे में कटोरा.
मैं दुनिया में आर्थिक शक्ति बनने के लिए कसरत रत हूँ.
मेरा दबदबा विज्ञान और टेक्नोलोजी के क्षेत्र में भी है.
मेरे फेहरिस्त में नंगे -भूखों की संख्या अधिक है तो क्या हुआ
मेरे पास मुठ्ठी भर पूंजीपति भी तो हैं,
करोड़ों लोगों के पास झोपड़ी नहीं है तो क्या हुआ,
मेरे प्राकृतिक सम्पदा और आर्थिक स्रोतों पर गिने -चुने लोगों का कब्ज़ा-अधिकार तो है.
मैं भारत हूँ...
मेरे में समाहित है 'अरुणाचल'
मेरे पास सब कुछ है...(?)
पर माफ़ करना 'दोरजी खांडू'
हम तुम्हें और तुम्हारे सहयोगियों को ४-५ दिन तक खोज न सके.
और जब तुम तक पहुंचे तो मिली तुम्हारी ...
माफ़ करना, हम तुम्हें बचाने में असफल रहे.
मौसम ख़राब होने की वजह से 'सर्च' नहीं कर सका.
कोई बात नहीं, तुम्हारा अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा.
गर्व करो भारत महान है.
हाँ चलते -चलते एक बात और
भारत के चैनेल्स और अखबार तुम्हारा 'लाइव कवरेज' नहीं दे सके, आँध्रप्रदेश के EX. C.M. की तरह.
सभी चैनेल्स 'ओबामा -ओसामा' में बीजी थे.
माफ़ करना 'खांडू' T.R.P. का सवाल था....(?)
मेरी तरफ से तुम्हें और तुम्हारे सहयोगियों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि...!